इंकलाब जिंदाबाद आम आदमी पार्टी जिंदाबाद
देल्ही के मेरे दोस्त
कुछ शब्द मेरे शब्दों में जोड़ दो
६८ सालो से छाई धुंध
कुछ छटती सी दिखती है
सर्द हाथो में हलकी तपिश
लगती सी दिखती है
अँधेरे में हाथ को हाथ न सूझता
थोड़ी रौशनी से आती दिखती है
इंक़लाब में तुम
जिंदाबाद जोड़ दो
आम आदमी
सत्ता में
आती सी दिखती है
दोस्त
कुछ शब्द मेरे शब्दों में जोड़ दो
६८ सालो से छाई धुंध
कुछ छटती सी दिखती है
जय हिन्द
इक़बाल सिंह
देल्ही के मेरे दोस्त
कुछ शब्द मेरे शब्दों में जोड़ दो
६८ सालो से छाई धुंध
कुछ छटती सी दिखती है
सर्द हाथो में हलकी तपिश
लगती सी दिखती है
अँधेरे में हाथ को हाथ न सूझता
थोड़ी रौशनी से आती दिखती है
इंक़लाब में तुम
जिंदाबाद जोड़ दो
आम आदमी
सत्ता में
आती सी दिखती है
दोस्त
कुछ शब्द मेरे शब्दों में जोड़ दो
६८ सालो से छाई धुंध
कुछ छटती सी दिखती है
जय हिन्द
इक़बाल सिंह
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