वारणसी के युद्ध में केजरीवाल
प्रतिदिन होने वाले हमलो के संदर्भ में
कैसा चिटक रहा
गर्म लोहा
पानी के छीटों से
कैसे तुफानो को
पेड़ो ने रोका है
गरजते नगाड़ो से
चिड़िआ उड़ गयी
मधुर बांसुरी ने गौओ
को रोका है
कोलाहल कोलाहल
बोल कुबोल
मेला है ठेला है
अर्थहीन जोश है
झूठने सच को
चहु और घेरा है
मुक्के से धुमुक्के से
कोहनी से लात से
अंतहीन प्रहार से
झूट ने सच को
चहुँ और घेरा है
महादेव की नगरी
गंगा का आँगन
असि घाट पर
शांत बैठा
एक मानव
देख रहा
लहरो से
टकराते घाट को
शिव की शरण
मंदिर में
दिआ
बाहर अँधेरे के अट्ठास को
टिमटिमाते प्रकाश
का संघर्ष
सत्य पर शिव का
वरद हस्त
उठा निर्णय के साथ
चल पड़ा वाराणसी
की सड़को में
अनंत प्रहारों के
बीच
बेखौफ
सत्य मेव जयते
सत्य मेव जयते
इक़बाल सिंह
प्रतिदिन होने वाले हमलो के संदर्भ में
कैसा चिटक रहा
गर्म लोहा
पानी के छीटों से
कैसे तुफानो को
पेड़ो ने रोका है
गरजते नगाड़ो से
चिड़िआ उड़ गयी
मधुर बांसुरी ने गौओ
को रोका है
कोलाहल कोलाहल
बोल कुबोल
मेला है ठेला है
अर्थहीन जोश है
झूठने सच को
चहु और घेरा है
मुक्के से धुमुक्के से
कोहनी से लात से
अंतहीन प्रहार से
झूट ने सच को
चहुँ और घेरा है
महादेव की नगरी
गंगा का आँगन
असि घाट पर
शांत बैठा
एक मानव
देख रहा
लहरो से
टकराते घाट को
शिव की शरण
मंदिर में
दिआ
बाहर अँधेरे के अट्ठास को
टिमटिमाते प्रकाश
का संघर्ष
सत्य पर शिव का
वरद हस्त
उठा निर्णय के साथ
चल पड़ा वाराणसी
की सड़को में
अनंत प्रहारों के
बीच
बेखौफ
सत्य मेव जयते
सत्य मेव जयते
इक़बाल सिंह
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