Monday, May 3, 2021

वो बोलता क्या है

 वो बोलता क्या है 

मै नहीं जानता उसका नाम 

मै नहीं जानता उसका धर्म 

मै नहीं जानता उसका पता

मेरे कान बड़े ध्यान से 

सुनना चाहते है 

वो बोलता क्या है

देखने में कैसा है

वो कपडे कैसे पहनता है

वो शहर  का है कि गाव का

उसके साथ कौन कौन है

वो गाड़ी में चलता है कि पैदल

मेरे कान बड़े ध्यान से 

सुनना चाहते है कि वो बोलता क्या

वो हिंदी बोलता है कि अंग्रेजी 

वो तमिल बोलता है कि पंजाबी

मेरे कान बड़े ध्यान से 

सुनना चाहते है कि वो बोलता क्या है

वो फ़क़ीर है कि सिकंदर 

उसकी शक्ति उसकी दौलत 

इन सब से मुझे क्या

मेरे कान बड़े ध्यान से 

सुनना चाहते है 

भर्ष्टाचार मुक्त भारत कि बाते 

 शोषण मुक्त भारत कि  बाते 

गरीब कि बाते 

इंसानियत कि बाते 

अहिंसा कि बाते

प्यार कि बाते 

आम आदमी कि बाते 

मेरे कान सुनना चाह्ते है 

वो बोलता क्या है

       इक़बाल सिंह

Monday, September 28, 2015

दोस्तों
पेण्ड्रा जिला अभियान से जुड़िये
हर वयक्ति अपने परिवार
अपने मित्रो के साथ
ग्रुप फोटो या
छोटी विडिओ  क्लिप्स लेवे
और
पेण्ड्रा जिला बनाओ अभियान से जुड़िये
टाइटल के साथ फेस बुक में पोस्ट कर देवे
भर दीजिये फेस बुक के पन्नो को
इस संकल्प के साथ
पेण्ड्रा जिला अभियान
जिंदाबाद जिंदाबाद
इक़बाल सिंह

Saturday, September 12, 2015

पर्युषण पर्व पर बहुत बहुत बधाई
अचेतन भूखा प्यासा नग्न
उपहास उड़ाते लोगो
पत्थर मरते बच्चो
नदी नाले पहड़ो से
गुजरता
गुस्सा न घृणा
न अपेक्छा
न अहंकार
चन्द्रमा सा शीतल
समुद्र सा धीर
सूर्य सा प्रकाशित
राज सत्ता छोड़
१२ वर्षो तक तपा
तपस्वी
वर्धमान से
महावीर  हुआ
सत्ता की तरफ
अपेक्छा
से निहारते तुम्हे(जैन समाज )
देख
आश्चर्य हुआ
इक़बाल सिंह



Monday, September 7, 2015


 ५/९/१५ ए बी पी  चैनल पर दिखाई डाक्यूमेंट्री
करो बहस औरंगजेब नायक या खलनायक
बुला कर दो चार
लोगो को
कुछ भी बोलो
पुरे देश में जाने दो सन्देश
अपनी मर्जी का
मीडिया  का व्यवसाय
किसी की नेतागीरी
किसी का शुगल
इतिहास से अनजान
जनता का मनोरंजन
परोस दिया
विदेशी आक्रमक
जिसने हमें गुलाम रखा
दो  मंदिर तोड़े
या पांच
 हमारे
धर्म का नाश किया
कम या ज्यादा
कम लूटा या ज्यादा
हमारी बहु बेटियो से
बलात शादी की या नही
गजनी के बाज़ारो
में
हमारी बच्चियों को
दो टके में बेचा या तीन टके में
सिखो के सर का  मूल्य
अस्सी लगाया या सौ
आक्रमक
और
महान

गुलाम के साथ उदारता
न है
नायकत्व न है महानता
परन्तु
गुलाम मानसिकता
और
तुम्हारी चाटुकार्ता
ने

दो करोड़ पगड़ीधारी
सिखो के अस्तित्व को नकार दिया
अरे चमकौर की गढ़ी
का युद्ध 
अजीत सिंह और जुझार सिंह
की शाहदत
चिने गए थे दीवारो में
फ़तेह सिंह  और जोरावर
लाल किले के चौक पर
सीस का बलिदान

तिलक जंजु राखा
प्रभ ताका
सीस दिया
पर सिरर न दिया
हिन्द दी चादर
तेगबहादुर
 आह
तुम्हारी वय्वसायिकता
ने सब कुछ नकार दिया
तुम्हारी चाटुकरिता
ने सब कुछ नकार दिया
इक़बाल सिंह




Monday, August 17, 2015

आज भूतपूर्व सैनिको के साथ जंतरमंतर में सुरक्छा के नाम पर डेल्ही की पुलिस ने धक्का मुक्की की
स्वतंत्रता दिवस के पूर्व स्वंत्रता के प्रहरियों को इसलिए अपमान झेलना पड़ा क्योकि वो अपना हक मांग रहे है
जिसका वादा सरकार ने किया है
कितनी कृतघ्नता है
देश के वीरो का अपमान देश के सैनको का अपमान
आह
तू फस गया
शब्द जाल में
 सिपाही
ओ भोले
ये निर्लज नेता
और स्वार्थी जनता
सब दुष्ट है यार
तू तो भोला है
सिपाही
ये तेरी प्रशंसा करते है
तुझे बहादुर क़ह कर
बेवकूफ बनाते है
आज से नही सदियों से
तू बहुत भोला है
सिपाही
बर्फ से कम हो
ज्वालमुखी से ज्यादा गर्म
तू एक पुरानी
बन्दूक ले कर
जिसमे से फुस से
गोली निकले
मेरे देश के
रक्छक प्रहरी
मेरे भोले योद्धा
पीठ में गोली मत खाना
सीने में खाना
तू शहीद होगा
ताबूत को सलामी
तेरी विधवा को
४ साल के धक्के
खाने के बाद
सिलाई मशीन
तू बहुत भोला है
सिपाही
जे तू बच  गया
तो जंतर मंतर
में भूखा बैठना
वहां
मोदी जी के वादे  को दोहराना
तुझे
पुलिस
धक्के मार कर
उठा देगी

तू बहुत भोला है
सिपाही
तू बहुत भोला है
स्वंत्रता दिवस अमर रहे
स्वतंत्रता दिवस अमर रहे
जय हिन्द
हा हा हा
इक़बाल सिंह

Wednesday, June 10, 2015

ज्यादातर मुझे तुम्हरी बाते भाती नही
बुलेट ट्रैन स्मार्ट सिटी और बड़ी बड़ी बाते
जहां छूट जाते है
गरीब मजदूर किसान
खैर छोड़ो
म्यांमार में तुमने गजब कर दिया
आज उन कविताओ को पढ़ने का मन हुआ
जब भरत ने शेर के दांत गिने
जब ऊधम सिंह ने डायर को गोली मारी
जब ७१ में पाकिस्तान को धुल चटाई
अजेय भारत के स्वर्णिम इतिहास
पर चडी धूल के परत साफ़ हुई
दिखा म्यांमार में दुबके चुहो
का नाश
वीरो का वर्चस्व कायम हुआ
गर्जना की आवाज से सहमा चीन  पाकिस्तान
ये दिन ये पल अंकित हुए
स्वर्ण अकछारो से
इतिहास जीवित हुआ
इक़बाल सिंह

Tuesday, March 10, 2015


हमारे  कहने का मतलब तो कुछ नही
पर कहे बिना दिल मानता नही
तुम सुनते हो चाटुकार
दरबारियों की बाते
जो तुम्हे दिन में तीन बार
कपड़े बदलवाते है
जो कभी हरियाणा कभी राजिस्थान
कभी पंजाब की पगड़ी बंधवाते  है
तुम्हे दस लाख का कोट देते है
फिर लीलामी में करोडो की कीमत लगाते है
क्या वो कीमत कोट की थी
की तुमाहरी
चुनाव में बार बार क्यों कहते थे
की तुम चाय वाले हो
अब बुलेट ट्रैन
स्मार्ट सिटी
भूमि अधिग्रहण
इन्हे चाय वाले से जोड़ो
बोले इस देश में
बहुत लोग
लाजपतराय बोले
गोखले  बोले
विवेकान्द बोले
उनके पीछे देश बोला
दुनिया बोली
दांत मुंह और जीभ
का इतना दुरूपयोग
झूट बोलने को क्यों
श्यामा चरण मुखर्जी के सहादत
पर सत्ता सुख की सेज
 कश्मीरी पंडितो का
बलिदान हुआ
निस्तेज
३७० को तो छोडा
मसरत को भी छोड़ा
तुम्हे पता नही चला
कब सूरज ढला
रात हो गयी
 राजनाथ की
 मुफ़्ती से
बात हो गयी
अफजल गुरु
का मक़बरा
भी तुम्ही बनवाओगे
कांग्रेसियों ने मारा है
इस लिए
अमृत तुम्ही पिलाओगे

संसद में राजनाथ ने
कहा
हमे पता नही लगा
ब्रेकिंग न्यूज़
पर सत्य तो ये है
मसरत को मुफ़्ती ने नही
भा जा पा ने छोडा है
मुफ़्ती तो बाद
में आया
चुनाव के पूर्व
फ़रवरी में
गवर्नर से  हस्ताक्छर
भजपा सरकार
ने करवाया
यदि ये सत्य है
तो देश की यही गत है
देश की यही गत है
इक़बाल सिंह