Saturday, March 29, 2014

केजरीवाल देश से बेदखल होगा
मुख़्तार अब्बास नकवी को हटाओ
बी जे पी को बचाओ
नमक खाता  भ ज पा का
राजनाथ के विरुद्ध ट्वीट
अटकल लगाता
साबिर अली को भटकल का
भटकल को दाउद का
करीबी बताता है   
क्या राजनाथ जी को
ज्ञान नहीं है
क्या उन्हें भान नहीं है
कि साबिर अली भटकल का करीबी है
क्या मोदी नहीं जानते है
क्या सिर्फ तुम्ही जानते हो
ये राजनीती है दोस्त
देश के गद्दारो से भी राष्ट्र गान करा सकते है
वक्त आने पर राष्ट्र भगत बता सकते है
दाऊद भारत का राजदूत बनेगा
केजरीवाल देश से बेदखल होगा
नकवी जी  आप इतना न समझ सके
क्या खाक प्रवक्ता हो
जो अंदर कि बात जान न सके
भगवन आप को सदबुध्धि दे
इक़बाल सिंह 
 

Saturday, March 22, 2014

राजनीती में चाटुकर्ता
यदपि सामान्य  है
कथित प्रगतिशील
समाज की पहचान है
कही सचिन भगवान है
वसुन्दरा दुर्गा कि अवतार है
कही अमिताभ के मंदिर
हर कोई देश का भगवान है
बदलने लगी  है इतिहास कि अवस्था
चित्र भी अब पहचाने कैसे जायेंगे
संस्कृति कि पाठशालाओ
में
हमारी संताने
जब हर हर महादेव  कि जगह
हर हर मोदी गायेगे
इक़बाल सिंह

Monday, March 17, 2014

बेस्ट सेलिंग ऑथरचेतन भगत ने आप पार्टी को आइटम गर्ल ऑफ़ पोल्टिकस कहा
शब्द बेचना
बेस्ट सेलिंग  ऑथर होना
टीवी में आना
सेलिब्रिटीज कहलाना
जन आंदोलन को
आइटम गर्ल कहना
फैसन हो गया है
जन आंदोलन
अवयवस्था के विरुद्ध  संघर्ष
अन्धकार से लड़ने  का दीपक का प्रयास
हिलती दीपक कि लौ
आइटम गर्ल का नृत्य नहीं
 शिव तांडव है मेरे दोस्त
कही शिव का त्रिनेत्र
परलय का कारन न बन जाये
प्रार्थना करो प्रार्थना करो
इक़बाल सिंह 

Sunday, March 16, 2014


"Arvind is a kid at present," he reacted when asked about the AAP leader.

आप ने अरविंद केजरीवाल को बच्चा कह 
पूरा देश अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में राष्ट्र का भविष्य देख रहा है

सत्य का यह दिया अभी जरूर टिमटिमा  रहा है
पर हिलती हुई लौ के प्रकाश में
मेरे गाव कि महिला को आशा है कि उसका खाना  बन जावेगा
उसको उम्मीद है उसका बच्चा पढ़ जावेगा
उसके खेतो में धान हो गा
उसका एक छोटा सा माकन होगा
पटवारी उससे पैसे नहीं मागेगा
उसके पास भी राशन कार्ड होगा
सताया के टिमटिमाते दिए
पर हिलती लौ के प्रकाश
में छिपी गरीब महिला कि आस
गुरूजी आप देख नहीं पाये
आप ने भी सूर्य को नमस्कार किया
आप ने भी सागर को प्रणाम किया
पर इतिहास साक्छी है
राम कि तानी भृकुटि और निकले तरकश से थे  बाण
वो माह विराट नतमस्तक हुआ
जिसको करे यह जग  प्रणाम
द्रोण से भीष्म तक कर्ण से दुर्योधन तक
सभी उत्कृष्ट कौरव थे
क्या युधिष्टर का सत्य पराजित हुआ था 
भारत ने शेर के दांत गिन दिए थे
अभिमनु ने तोडा था द्रोण का चक्रव्व
माना था समय ने इन्हे बच्चा ही
पर इनके हस्ताक्छरो को इतिहास नमन करता है



 
 VARANASI: Spiritual leader Sri Sri Ravi Shankar on Friday described Aam Aadmi Party (AAP) leader Arvind Kejriwal as a kid in the country's politics.

"Arvind is a kid at present," he reacted when asked about the AAP leader.
He said religious leaders and gurus should avoid supporting any politician as by doing so they would deprive the political rights of their followers

 परम पूजया श्री श्री  रविशंकर जी मई आपके इस वक्तवय का स्वागत करता हु जिसमे आप ने अध्यातिमक गुरु को सीधे सीधे पोल्टिकस में इन्वॉल्व नहीं होना चाहिए बड़ी विनम्रता पूर्वक निवेदन प्रस्तुत है

पूरा देश अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में राष्ट्र का भविष्य देख रहा है

सत्य का यह दिया अभी जरूर टिमटिमा  रहा है

पर हिलती हुई लौ के प्रकाश में

मेरे गाव कि महिला को आशा है कि उसका खाना  बन जावेगा

उसको उम्मीद है उसका बच्चा पढ़ जावेगा

उसके खेतो में धान हो गा

उसका एक छोटा सा माकन होगा

पटवारी उससे पैसे नहीं मागेगा

उसके पास भी राशन कार्ड होगा

सत्य  के टिमटिमाते दिए

पर हिलती लौ के प्रकाश

में छिपी गरीब महिला कि आस

गुरूजी आप देख नहीं पाये

आप ने भी सूर्य को नमस्कार किया

आप ने भी सागर को प्रणाम किया

पर इतिहास साक्छी है

राम कि तानी भृकुटि और निकले तरकश से बाण

वो माह विराट नतमस्तक हुआ था

जिसको करे आप प्रणाम

भारत ने शेर के दांत गिन दिए थे

अभिमानु ने तोडा था द्रोण का चक्रव्व
माना था समय ने इन्हे बच्चा ही
पर इनके हस्ताक्छरो को इतिहास नमन करता है
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Saturday, March 15, 2014

वो बोलता क्या है
मै नहीं जानता उसका नाम
मै नहीं जानता उसका धर्म
मै नहीं जानता उसका पता
मेरे कान बड़े ध्यान से
सुनना चाहते है
वो बोलता क्या है
देखने में कैसा है
वो कपडे कैसे पहनता है
वो शहर  का है कि गाव का
उसके साथ कौन कौन है
वो गाड़ी में चलता है कि पैदल
मेरे कान बड़े ध्यान से
सुनना चाहते है कि वो बोलता क्या
वो हिंदी बोलता है कि अंग्रेजी
वो तमिल बोलता है कि पंजाबी
मेरे कान बड़े ध्यान से
सुनना चाहते है कि वो बोलता क्या है
वो फ़क़ीर है कि सिकंदर
उसकी शक्ति उसकी दौलत
इन सब से मुझे क्या
मेरे कान बड़े ध्यान से
सुनना चाहते है
भर्ष्टाचार मुक्त भारत कि बाते
 शोषण मुक्त भारत कि  बाते
गरीब कि बाते
इंसानियत कि बाते
अहिंसा कि बाते
प्यार कि बाते
आम आदमी कि बाते
मेरे कान सुनना चाह्ते है
वो बोलता क्या है
       इक़बाल सिंह
अब बंदूके छोड़ के भाई तुम घर वापिस आ जाओ
किस के खातिर लड़ते हो जरा मुझे भी तो समझाओ
जिस देश कि तुम बाते करते वो तो गिरवी रखा है
जो करता आदर्श बाते वो तो बिकता फिरता है
इनके भाषण इनकी बाते इनकी सवेंदनाये झूठी
नकली तमगा बांटे फिरते नकली बाते करते है
सच्चे योद्धा मेरे देश के गोली खा के मरते है
इक़बाल सिंह
शहीदो कि चिताओ में लगेगे हरबर्स मेले वतन पे मरने वालो का यही अतिम निशान होगा
वो देखो मेले लगे हुए है वाह मौजा ही मौजा गद्दार नेताओ कि फौजा ही फौजा
नकली तगमा लिए हाथ में विधवा (विडो ऑफ़ शहीद) बोले जय भारत सूखी आँखों से अपलक निहारे माँ बोले है जय भारत फटे चिथड़ो में सिमटे नन्हे नन्हे बच्चे देखे माँ और दादी को फिर बोले जय भारत जय भारत जय भारत सब कोई बोलो जय भारत
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
हंसो हंसो और बोलो जय भारत जय भारत जय भारत
रोवो रोवो रो रो के बोलो जय भारत जय भारत जय भारत मिल कर बोलो जय भारत
देखो मेले भरे हुए है गद्दारो कि फौजो से
मिल कर बोलो जय भारत जय भारत जय भारत
इक़बाल सिंह

Friday, March 14, 2014

shahido ko diye tagme nakli nikle


शहीदो कि चिताओ में लगेगे हरबर्स मेले वतन पे मरने वालो का यही अतिम निशान होगा
वो देखो मेले लगे हुए है वाह मौजा ही मौजा गद्दार नेताओ कि फौजा ही फौजा
नकली तगमा लिए हाथ में विधवा (विडो ऑफ़ शहीद) बोले जय भारत सूखी आँखों से अपलक निहारे माँ बोले है जय भारत फटे चिथड़ो में सिमटे नन्हे नन्हे बच्चे देखे माँ और दादी को फिर बोले जय भारत जय भारत जय भारत सब कोई बोलो जय भारत
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
हंसो हंसो और बोलो जय भारत जय भारत जय भारत
रोवो रोवो रो रो के बोलो जय भारत जय भारत जय भारत मिल कर बोलो जय भारत
देखो मेले भरे हुए है गद्दारो कि फौजो से
मिल कर बोलो जय भारत जय भारत जय भारत
इक़बाल सिंह

Sunday, March 2, 2014

तू न थकेगा कभी, तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी |
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ ||
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ |||-श्री हरिवंश राय बच्चन

बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं,
और नदियों के किनारे घर बने हैं ।

चीड़-वन में आँधियों की बात मत कर,
इन दरख्तों के बहुत नाजुक तने हैं ।

इस तरह टूटे हुए चेहरे नहीं हैं,
जिस तरह टूटे हुए ये आइने हैं ।

आपके कालीन देखेंगे किसी दिन,
इस समय तो पाँव कीचड़ में सने हैं ।

जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में,
हम नहीं हैं आदमी, हम झुनझुने हैं ।